उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के चौंकाने वाले इस्तीफे के पीछे का सच

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अप्रत्याशित इस्तीफे को लेकर उठे रहस्य के बीच एक समाचार एजेंसी को सूत्रों ने बताया है कि केंद्र सरकार की एक फोन वार्तालाप से शुरू हुआ मामला टकराव का आकार लेने लगा, जिस वजह से धनखड़ के पास इस्तीफा देने के सिवा ज्यादा विकल्प नहीं बचे थे।

रात को हुआ इस्तीफा, सभी को चौंकाया
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बीती रात अपना इस्तीफा देकर सभी को अचंभे में डाल दिया।
यह घटनाक्रम उस वक़्त प्रारंभ हुआ जब विपक्ष समर्थित सांसदों ने एक न्यायाधीश के निवास से भारी तादाद में नकदी बरामद होने पर उन्हें हटाने का प्रस्ताव पेश किया।
राज्यसभा में मानसून सत्र के दौरान विपक्ष ने जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने का नोटिस दिया, जिसे उपराष्ट्रपति धनखड़ (जो राज्यसभा के सभापति भी हैं) ने स्वीकार करते हुए सचिवालय को आवश्यक कार्रवाई करने का आदेश भी दिया।

केंद्र सरकार नाराज़, बातचीत में हुआ विवाद
सूत्रों के अनुसार, केंद्र सरकार इस फैसले से नाखुश थी क्योंकि इससे न्यायपालिका में भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार की अगुवाई करने की भूमिका छिन गई थी।
इसके बाद केंद्र की ओर से उपराष्ट्रपति को फोन किया गया, जिसमें नाराज़गी जताई गई। इस बातचीत में उपराष्ट्रपति ने तीखे शब्दों में जवाब दिया और बहस भी शुरू हो गई। ऐसा कहा जा रहा है कि इस दौरान उन्होंने अपने संवैधानिक अधिकारों का हवाला भी दिया।

अविश्वास प्रस्ताव की आहट और इस्तीफा
इस विवाद के बाद सरकार समर्थित सांसदों द्वारा उपराष्ट्रपति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की चर्चाएं तेज़ी से शुरू हो गईं।
सूत्रों के मुताबिक, धनखड़ को इसकी भनक लग गई और उन्होंने खुद को “बर्खास्त” किए जाने से पहले ही पद छोड़ने का फ़ैसला लिया।

रात 9:25 बजे उनके आधिकारिक X हैंडल पर इस्तीफा पत्र साझा किया गया।


धनखड़ ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र में लिखा:

“चिकित्सा सलाह के अनुसार स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने हेतु, संविधान के अनुच्छेद 67(a) के अंतर्गत मैं भारत के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा तत्काल प्रभाव से देता हूँ। मैं माननीय राष्ट्रपति के प्रति गहरी कृतज्ञता प्रकट करता हूँ, जिन्होंने मेरे कार्यकाल के दौरान मुझे हमेशा सहयोग और स्नेह प्रदान किया।”

उन्होंने प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद का भी आभार व्यक्त किया:

“प्रधानमंत्री के सहयोग और समर्थन से मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला। संसद सदस्यों से जो स्नेह और विश्वास मिला, वह सदा मेरे स्मृति में रहेगा।”

विदाई भाषण नहीं, सरकार चुप
इस इस्तीफे से आज सत्ता के गलियारों में हलचल मच गई। आज सुबह सूत्रों ने साझा किया कि “स्वास्थ्य-संबंधी कारणों” के चलते उपराष्ट्रपति कोई विदाई भाषण भी नहीं देंगे।
वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने भी इस घटनाक्रम का वर्णन “समझ से परे”, “रहस्यमयी” और “पहेली” के रूप में दिया।

विपक्ष ने भी ज़ाहिर की नाराज़गी
विपक्ष ने भाजपा के अध्यक्ष जे.पी. नड्डा और केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू की एक महत्वपूर्ण बैठक से अनुपस्थिति पर सवाल उठाया। साथ ही, नड्डा द्वारा राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के संबोधन के दौरान कहा गया “सिर्फ मेरी बात रिकॉर्ड होगी” — इस टिप्पणी को अध्यक्ष के लिए अपमानजनक माना गया, जिससे धनखड़ कथित तौर पर आहत हुए।

नड्डा का स्पष्टीकरण
जेपी नड्डा ने इन आरोपों को निराधार बताते हुए कहा:

“हम एक अन्य महत्वपूर्ण संसदीय कार्य में व्यस्त थे, जिसकी जानकारी पहले ही उपराष्ट्रपति कार्यालय को दे दी गई थी। राज्यसभा में मेरी टिप्पणी विपक्षी सांसदों को लेकर थी, और न ही अध्यक्ष के खिलाफ।”

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, कारण उन्हें ही पता

“इस्तीफे के पीछे का कारण उपराष्ट्रपति या सरकार ही जानती है। सरकार चाहे तो इस्तीफा स्वीकार करे या न करे – ये उसका अधिकार है।”

गौरतलब है कि 74 वर्षीय उपराष्ट्रपति धनखड़ ने मात्र 10 दिन पहले ही कहा था कि वे अगस्त 2027 में “ईश्वरीय इच्छा” के अनुसार ही सेवानिवृत्त होंगे।

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