नई दिल्ली, 25 जुलाई 2025 – उत्तर प्रदेश सरकार ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर उस याचिका का विरोध किया है, जिसमें उन्होंने स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर के खिलाफ कथित आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर उनके खिलाफ दर्ज आपराधिक मुकदमा रद्द करने की मांग की थी।
यह मामला नवंबर 2022 में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान की गई कथित टिप्पणी से जुड़ा है, जिसमें उन्होंने सावरकर को “ब्रिटिश पेंशनर” और “ब्रिटिश का सेवक” बताया था। इस बयान पर लखनऊ के एक अधिवक्ता ने आपत्ति जताते हुए मुकदमा दर्ज कराया था, जिसमें गांधी पर भारतीय दंड संहिता की धारा 153A (समूहों के बीच वैमनस्य फैलाना) और धारा 505 (सार्वजनिक शरारत भड़काने वाले बयान) के तहत आरोप लगाए गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट में यूपी सरकार का रुख
उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि राहुल गांधी की ये टिप्पणियां पूर्वनियोजित थीं और उनका उद्देश्य समाज में घृणा फैलाना और सामाजिक सौहार्द बिगाड़ना था। सरकार ने यह भी दावा किया कि गांधी द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलने से पहले मीडिया को मुद्रित पर्चे बांटे गए, जिनमें वही बातें लिखी थीं, जो उन्होंने सार्वजनिक रूप से कही थीं।
हलफनामे में यह भी कहा गया है कि ये टिप्पणियां सिर्फ राजनीतिक आलोचना नहीं, बल्कि एक राष्ट्रनायक के प्रति जानबूझकर की गई अवमानना थीं, और इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला, जिसमें गांधी की याचिका खारिज की गई थी, पूरी तरह उचित था।

सुप्रीम कोर्ट में अब तक की कार्यवाही
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2025 में अस्थायी राहत देते हुए निचली अदालत की कार्यवाही पर स्थगन लगाया था, लेकिन साथ ही गांधी को उनकी टिप्पणी के लिए फटकार भी लगाई थी। कोर्ट ने यह भी याद दिलाया था कि इंदिरा गांधी, जो कि राहुल गांधी की दादी थीं, ने भी सावरकर की प्रशंसा की थी।
25 जुलाई को सुनवाई के दौरान, न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने अंतरिम राहत को बढ़ाते हुए, याचिकाकर्ता को चार सप्ताह में जवाबी हलफनामा दायर करने की अनुमति दी है। राहुल गांधी को उसके बाद दो सप्ताह में अपना प्रत्युत्तर दाखिल करना होगा।
मामले की पृष्ठभूमि
यह मामला तब शुरू हुआ जब अधिवक्ता नृपेन्द्र पांडेय ने लखनऊ में हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में की गई राहुल गांधी की टिप्पणी को लेकर आपराधिक शिकायत दर्ज कराई। पहले अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने शिकायत खारिज कर दी थी, लेकिन सेशंस कोर्ट ने फैसले को पलटते हुए दिसंबर 2024 में राहुल गांधी को समन जारी किया था।
राहुल गांधी ने बाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख किया, लेकिन हाईकोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी और कहा कि वह दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 397/399 के तहत क्रिमिनल रिवीजन का रास्ता अपनाएं। इसके बाद गांधी ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (SLP) दाखिल की थी।
अगला कदम
अब इस मामले की अगली सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में जवाबी हलफनामों के दाखिले के बाद होगी। तब तक लखनऊ की अदालत में चल रही कार्यवाही पर स्थगन लागू रहेगा।
राहुल गांधी पर लगे मुख्य आरोप
धारा | विवरण |
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धारा 153A | धर्म, जाति आदि के आधार पर विभिन्न समूहों में वैमनस्य फैलाना |
धारा 505 | समाज में शरारत और अफवाहें फैलाने वाले बयान |
सरकारी पक्ष की टिप्पणी
“अगर किसी राष्ट्रनायक को बार-बार जानबूझकर अपमानित किया जाए, तो उसे महज राजनीतिक वक्तव्य नहीं माना जा सकता।”
— यूपी सरकार का हलफनामा
स्रोत: Bar & Bench, कोर्ट दस्तावेज़