तीन भाई देवताओं भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा को उनके रथों पर लाने के साथ पुरी रथ यात्रा की शुरूआत हुई।

पुरी के जगन्नाथ मंदिर में पहांडी अनुष्ठान हुआ संपन्न
पुरी के जगन्नाथ मंदिर में पहांडी कार्यक्रम शुरू हुआ। इसमें भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ को रथ यात्रा के लिए 12वीं सदी के मंदिर से उनके संबंधित रथों तक जुलूस के रूप में ले जाया गया। अनुष्ठान एक घंटे की विलंब से शुरू हुआ और तीन घंटे तक जारी रहेगा। पहांडी में भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ, इन त्रिदेवों को जुलूस के रूप में सिंह द्वार के सामने खड़े उनके रथों तक पहुँचाया जाता है। जहां से उन्हें श्री गुंडिचा मंदिर ले जाया जाता है। घंटियां, शंख और झांझ जैसे वाद्ययंत्र बजाते हुए चक्रराज सुदर्शन को सबसे पहले मुख्य मंदिर से बाहर लाया गया और देवी सुभद्रा के ‘दर्पदलन’ रथ पर बैठाया गया। पंडित सूर्यनारायण रथशर्मा का कहना है कि सुदर्शन भगवान विष्णु का अस्त्र चक्र है, जिनकी पूजा पुरी में भगवान जगन्नाथ के रूप में की जाती है। सुदर्शन के पीछे भगवान जगन्नाथ के बड़े भाई भगवान बलभद्र थे। भगवान बलभद्र अपने तालध्वज रथ पर विराजमान हैं। जब भगवान जगन्नाथ मंदिर से बाहर आए, तो ग्रैंड रोड पर भावनाओं का सैलाब उमड़ पड़ा, और भक्तों ने हाथ उठाकर श्रद्धा और भक्ति से ‘जय जगन्नाथ’ का नारा लगाया।

पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा को लेकर ओडिशा के एडीजी एलएंडओ संजय कुमार ने बताया कि हमारा अनुमान है कि आज यहां 10 से 12 लाख लोग शामिल होंगे। यहां भीड़ प्रबंधन की व्यवस्था की गई है। पूरे शहर को सुरक्षा कवर जोन में बदल दिया गया है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद हमें खुफिया जानकारी मिली कि कुछ असामाजिक और राष्ट्र विरोधी तत्व गड़बड़ी पैदा करने की कोशिश कर सकते हैं। इसे रोकने के लिए पूरी तरह से योजना बनाई है और स्थिति पर नियंत्रण बनाए हुए हैं। कई वरिष्ठ अधिकारी और 200 से अधिक ओडिशा पुलिस प्लाटून यहां तैनात किए गए हैं। RAF की तीन कंपनियों के साथ-साथ CAPF की 8 कंपनियां भी तैनात की गई हैं। NSG, NSG स्नाइपर्स, COSG, कोस्ट गार्ड ड्रोन और एंटी-ड्रोन सिस्टम सहित कई GOI तकनीकी टीमें भी ओडिशा पुलिस के साथ सहयोग कर रही हैं। इसके अलावा, कैनाइन टीम और ओडिशा की एंटी-सैबोटेज यूनिट जैसी विशेष इकाइयां भी सहायता के लिए यहां मौजूद हैं।

पुरी में जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान आरएसएस स्वयंसेवक रथ यात्रा में जिन भक्तों को चिकित्सा की आवश्यकता है, उन्हें ले जाने वाली एम्बुलेंस के लिए एक विशेष गलियारा भी बनाने में मदद कर रहे हैं।

पूर्व मेदिनीपुर में रथ यात्रा में भाग लेने और जश्न मनाने के लिए दीघा जगन्नाथ मंदिर में भक्त एकत्र हुए।

भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा पर केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि यह उत्सव सनातन संस्कृति की प्राचीनता के साथ-साथ उसकी निरंतरता का भी प्रतीक है। कई सदियों से यह उत्सव एकता के प्रतीक के रूप में मनाया जाता रहा है, जो भारत के लोगों को एकजुट करता है और दुनिया भर के विभिन्न धर्मों के अनुयायियों को एकत्रित करता है। इसका प्रमाण हजारों वर्षों के लिखित इतिहास में मिलता है। सौभाग्य से मुझे इस रथ यात्रा में शामिल होने का अवसर मिला है, मुझे भगवान जगन्नाथ प्रभु के दर्शन करने का मौका मिलेगा, लेकिन सबसे बढ़कर मैं भाग्यशाली हूं कि मुझे यहां पुरी पीठ पर आकर पुरी शंकराचार्य के दर्शन करने, उनका आशीर्वाद लेने, उनका संवाद सुनने का अवसर मिला है।

पुरी में भगवान जगन्नाथ की विश्व प्रसिद्ध वार्षिक रथ यात्रा देखने के लिए श्री जगन्नाथ मंदिर के बाहर भक्तों की भीड़ उमड़ चुकी है और वे आनंद मना रहे हैं।

जगन्नाथ रथ यात्रा क्या है?
जगन्नाथ रथ यात्रा, जिसे रथ महोत्सव या श्री गुंडिचा यात्रा के नाम से भी जाना जाता है, ओडिशा में प्रतिवर्ष मनाया जाने वाला एक प्रमुख हिंदू त्योहार है। यह द्वितीया तिथि को मनाया जाता है, जो कि चंद्र मास के शुक्ल पक्ष का दूसरा दिन होता है। यह समय चंद्रमा की बढ़ती चमक के कारण आध्यात्मिक रूप से शुभ माना जाता है।

लाखों की तादाद में मौजूद श्रद्धालु इस प्रसिद्ध रथ यात्रा के लिए एकत्र हुए हैं, क्योंकि भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा आज अपने निवास, 12वीं शताब्दी के मंदिर से गुंडिचा मंदिर के लिए नौ दिवसीय यात्रा पर निकलने की तैयारी में हैं। आनंद से अभिभूत अनगिनत भक्तगण भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के रथों – क्रमशः नंदीघोष, तलध्वज और दर्पदलन – को लगभग 3 किमी तक गुंडिचा मंदिर तक खींचेंगे, जिसके बारे में कुछ किंवदंतियों के मुताबिक, चतुर्धा मूर्ति (भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र, मां सुभद्रा और सुदर्शन), उनका जन्मस्थान माना जाता है।

बता दें कि प्रभु जगन्नाथ की रथ यात्रा देशभर में निकाली जाती है। वहीं, ओडिशा के पुरी की यात्रा सबसे बड़ी रथ यात्राओं में से एक मानी जाती है। ओडिशा के पुरी से शुरू हुई यह जगन्नाथ यात्रा गुंडिचा मंदिर तक पहुँचेगी। यह यात्रा 12 दिनों तक चलेगी। इसका समापन 15 जुलाई को नीलाद्रि विजय के साथ होगा, जब भगवान अपने मूल मंदिर में वापस लौटेंगे।

इस यात्रा की तैयारी महीनों पहले से शुरू होती है। इस यात्रा के दौरान कई तरह के धार्मिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। राज्य सरकार के विभिन्न विभागों ने सुचारू एवं दुर्घटना मुक्त रथ यात्रा सुनिश्चित करने के लिए कड़ी से कड़ी प्रस्तुति भी ली हैं।

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