ईरान और इज़राइल के बीच युद्धविराम के बाद किए गए एक जनमत सर्वेक्षण के अनुसार यह पता चला है कि लगभग दो-तिहाई प्रतिभागियों ने ग़ाज़ा में लगातार चल रहे युद्ध को समाप्त करने की मांग की है।
इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को अब उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी और पूर्व प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट की ओर से भी नए सिरे से दबाव का सामना करना पड़ रहा है। ईरान के साथ युद्ध के दौरान नेतन्याहू की लोकप्रियता में जो उछाल नज़र आया था, वह अब क्रमशः मद्धम पड़ता दिख रहा है, क्योंकि देश के भीतर ग़ाज़ा संघर्ष को तत्काल समाप्त करने की मांग अब और भी तेज़ हो चुकी है।
नेतन्याहू ने पिछले सप्ताह ईरान के साथ 12 दिन तक चले युद्ध को जीत बताया, जो अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा ईरानी परमाणु ठिकानों पर बमबारी में अमेरिकी वायुसेना को शामिल करने का आदेश मिलने पर युद्धविराम के साथ समाप्त हुआ।
राजनीतिक वैज्ञानिक असाफ मेयदानी ने शनिवार को एक इज़राइली वेबसाइट पर प्रकाशित एक कॉलम में साझा किया कि “ट्रंप और नेतन्याहू, दोनों की जीत” के बावजूद, नेतन्याहू को “कई विफलताओं को स्पष्ट करना होगा”।
मेयदानी के मुताबिक, ग़ाज़ा अभियान को तुरंत समाप्त न कर पाना सबसे प्रमुख विफलताओं में से एक है जहां अक्टूबर 2023 से इज़राइल, हमास को लगातार कुचलने की कोशिश कर रहा है।
उन्होंने यह भी लिखा कि, “हालांकि हमास को नुकसान पहुंचा है, लेकिन वह नष्ट नहीं हुआ है, और ‘स्वॉर्ड्स ऑफ़ आयरन’ अभियान अब एक लंबा खिंचता हुआ युद्ध बन चुका है। हालांकि इज़राइली जनता मज़बूत है, लेकिन तनाव अभी भी बढ़ रहा है। ईरान के परमाणु खतरे को लेकर भयभीत इज़राइली जनता ने नेतन्याहू का समर्थन किया था। लेकिन अब जब वह युद्ध पूरी तरह से समाप्त हो चुका है, उसके बाद घरेलू और अंतरराष्ट्रीय, दोनों स्तरों पर भी ग़ाज़ा में युद्ध तत्काल समाप्त करने के लिए दबाव क्रमशः तेज़ हो चुका है।
आज ईरान के साथ युद्धविराम के एक दिन बाद Kan सार्वजनिक प्रसारक द्वारा जारी की गई एक जनमत सर्वेक्षण में नेतन्याहू के लिए समर्थन में बढ़त देखने को मिली।
हालांकि पिछले सर्वेक्षणों की तुलना में उनकी स्वीकृति दर में काफ़ी सुधार नज़र आया, फिर भी Kan के सर्वेक्षण के मुताबिक, यह पता चला कि 52 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे चाहते हैं कि इज़राइल के सबसे लंबे समय तक सत्ता में रहने वाले नेतन्याहू को तुरंत प्रधानमंत्री पद से इस्तीफ़ा देना चाहिए।
लगभग दो-तिहाई प्रतिभागियों ने कहा कि वे ग़ाज़ा युद्ध को अभी समाप्त करना चाहते हैं, जबकि केवल 22 प्रतिशत ने लड़ाई जारी रखने का फ़ैसला किया।
इज़राइली अखबार Maariv ने शुक्रवार को रिपोर्ट किया कि ईरान के साथ युद्धविराम के बाद नेतन्याहू के लिए जो समर्थन लगातार बढ़ रहा था, वह कुछ ही दिनों में “लगभग पूरी तरह से समाप्त” हो गया।
शनिवार को तटीय शहर और राजधानी तेल अवीव में हजारों लोग इकट्ठा हुए और उन्होंने ग़ाज़ा में युद्ध समाप्त करने के बाद शेष बंधकों की घर वापसी के लिए युद्धविराम समझौते की मांग भी की।
जनवरी में एक अल्पकालिक युद्धविराम के दौरान मुक्त हुई लीरी अलबग ने भीड़ से कहा, “नेतन्याहू और ट्रंप ने ईरान पर साहसी निर्णय लिया है, अब ग़ाज़ा युद्ध को समाप्त करने और (बंधकों) को तत्काल घर लाने का भी फ़ैसला करें।”
‘खतरनाक विफलताएं’
ट्रंप ने शनिवार को अपने प्लेटफ़ॉर्म Truth Social पर लिखा कि “नेतन्याहू हमास के साथ एक समझौते पर बातचीत कर रहे हैं, जिसमें बंधकों की रिहाई शामिल होगी।” वहीं रविवार को उन्होंने कहा, “ग़ाज़ा में समझौता कायम रखिए। बंधकों को जल्दी वापस लाइए!” उसी दिन नेतन्याहू ने कहा कि ईरान के साथ युद्ध ने शेष बंधकों को रिहा कराने के “अवसर” पैदा किए हैं। उन्हें एक बार फिर उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी और पूर्व प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट की आलोचना का सामना करना पड़ा।
ग़ाज़ा को लेकर नेतन्याहू सरकार की “निर्णय लेने में असमर्थता” की आलोचना करते हुए बेनेट ने “सभी बंधकों की रिहाई सहित एक व्यापक समझौते” की मांग की ताकि “इस भयावह गतिरोध और राजनीतिक भ्रम” को समाप्त किया जा सके।
बेनेट ने चैनल 12 को दिए गए शनिवार को प्रसारित एक साक्षात्कार में कहा कि, “नेतन्याहू को पद जल्दी छोड़ देना चाहिए। वह 20 वर्षों से सत्ता में हैं… यह बहुत ज़्यादा हो चुका है।”
उन्होंने यह भी बताया कि “जनता बदलाव चाहती है, शांति चाहती है,”। ऐसा मानना है कि बेनेट 2026 के अंत में होने वाले अगले चुनावों में फिर से प्रधानमंत्री पद के लिए लड़ सकते हैं।
बंधकों की रिहाई के लिए सरकार से कार्रवाई की मांग करने वाले प्रमुख कार्यकर्ता गिल डिकमैन ने कहा कि “ईरान में ऑपरेशन भले ही सफल रहा हो”, लेकिन नेतन्याहू “लोगों को यह भूलाने में विफल रहे हैं कि 2023 से लगातार चलने वाले हमास के इस अभूतपूर्व हमले को रोकने में वह स्वयं ज़िम्मेदार थे”।
डिकमैन की चचेरी बहन करमेल गाट, जिनकी ग़ाज़ा में बंधक रहने के दौरान मौत हो गई और जिनका शव पिछले साल अगस्त में बरामद किया गया था, उन्होंने एएफपी से कहा कि नेतन्याहू की “भयानक विफलताओं और बंधकों को छोड़ देने की नीति को भुलाया नहीं जा सकता”।
ट्रंप की हालिया टिप्पणियों के बाद “सावधानीपूर्ण आशावाद” जताते हुए डिकमैन ने बताया कि “संघर्ष समाप्त करने का एक अवसर स्पष्ट रूप से मौजूद है।”
“हम अपनी बहन को तो नहीं बचा सके, लेकिन जो लोग ग़ाज़ा में अब भी जीवित हैं, उन्हें बचाना अभी भी मुमकिन है।”