मालेगांव बम विस्फोट मामले में भारतीय जनता पार्टी की सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को विशेष एनआईए अदालत ने सभी आरोपों से बरी कर दिया है। अदालत ने यह निर्णय सबूतों के अभाव में सुनाया। इस केस में पहले ही 7 अन्य आरोपियों को भी बरी किया जा चुका है।
क्या कहा अदालत ने?
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर सका कि साध्वी प्रज्ञा का विस्फोट से कोई प्रत्यक्ष संबंध था। कोर्ट ने कहा कि:
“केवल मोटरसाइकिल के स्वामित्व या किसी बयान के आधार पर किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।”
क्या था मामला?
29 सितंबर 2008 को मालेगांव (महाराष्ट्र) के भिक्कू चौक पर हुए बम धमाके में 6 लोगों की मौत हुई थी और 100 से अधिक लोग घायल हुए थे। इस मामले में एटीएस ने साध्वी प्रज्ञा को 2008 में गिरफ्तार किया था, आरोप था कि ब्लास्ट में इस्तेमाल मोटरसाइकिल उन्हीं के नाम पर रजिस्टर्ड थी।
जांच और राजनीतिक पृष्ठभूमि
2011 में जांच एनआईए को सौंप दी गई थी।
साध्वी प्रज्ञा को कई साल जेल में रहना पड़ा।
बाद में उन्हें स्वास्थ्य के आधार पर जमानत मिली और 2019 में वह भोपाल से बीजेपी सांसद बनीं।
साध्वी प्रज्ञा की प्रतिक्रिया
कोर्ट से बाहर आते हुए साध्वी प्रज्ञा ने कहा:
“यह सत्य की जीत है। मैंने पहले ही कहा था कि मुझे झूठे आरोपों में फंसाया गया। आज न्यायपालिका ने मुझे सम्मान के साथ मुक्त किया है।”
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
भाजपा नेताओं ने इस फैसले का स्वागत किया है, जबकि विपक्ष ने जांच एजेंसियों की भूमिका और देरी पर सवाल उठाए हैं।