नई दिल्ली: भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों में नया तनाव पैदा हो गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 30 जुलाई को भारत से आयातित वस्तुओं पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा के साथ-साथ रूस से रक्षा और ऊर्जा खरीदारी को लेकर अतिरिक्त जुर्माना लगाने से भारत ने गहरी चिंता व्यक्त की है।
यह कदम ऐसे समय आया है जब दोनों देशों के बीच व्यापारिक वार्ताएं लगातार जारी हैं। भारत सरकार, व्यापारिक संगठनों और राजनीतिक नेतृत्व की ओर से इस पर तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं।
ट्रंप की घोषणा: व्यापार असंतुलन और रूस से संबंधों पर आपत्ति
राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत पर “अस्वीकार्य व्यापारिक बाधाएं” और ऊंचे टैरिफ लगाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि भारत, मित्र राष्ट्र होते हुए भी, अमेरिका के साथ व्यापारिक सहयोग में बाधा डाल रहा है।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि रूस से भारत के तेल और हथियार खरीदने के चलते यह जुर्माना लगाया गया है।
भारत का आधिकारिक रुख: नियमों के अनुसार टैरिफ, अपने हितों से समझौता नहीं
भारत के वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि देश WTO नियमों के तहत काम करता है और न्यायपूर्ण व्यापार का पक्षधर है।
सरकार ने यह भी दोहराया कि कृषि, डेयरी और MSME क्षेत्रों की रक्षा उसकी प्राथमिकता है और किसी प्रकार का अव्यवस्थित दबाव स्वीकार नहीं किया जाएगा।
🗣️ राजनीतिक प्रतिक्रिया: थरूर ने बताया ‘असंगत निर्णय’
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने अमेरिकी फैसले की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि यह कदम निष्पक्ष व्यापार की भावना के विरुद्ध है।
उन्होंने कहा कि भारत को व्यापार वार्ता में मजबूती से अपनी स्थिति रखनी चाहिए और दबाव में नहीं आना चाहिए।
📉 बाज़ार और अर्थव्यवस्था पर असर
ट्रंप की घोषणा के तुरंत बाद निफ्टी 50 में 0.6% की गिरावट दर्ज की गई, और रुपया गिरकर ₹87.7 प्रति डॉलर तक पहुंच गया।
आर्थिक विश्लेषकों ने FY2026 की GDP ग्रोथ दर को घटाकर 6.2% के नीचे आंका है।
कपड़ा, इलेक्ट्रॉनिक्स, दवाइयां, रत्न-आभूषण और ऑटो पार्ट्स जैसे प्रमुख क्षेत्रों के निर्यातकों ने चिंता जताई है।
🏭 प्रभावित सेक्टर और व्यापारिक संगठन
गुजरात, पंजाब और तमिलनाडु के निर्यातक संगठनों ने कहा है कि कपड़ा, सिरेमिक, केमिकल उद्योग पर सीधा असर पड़ेगा।
FICCI और अन्य व्यापार मंडलों ने अमेरिका के फैसले को भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों के लिए हानिकारक बताया।
रूस से तेल खरीद पर विवाद
अमेरिका ने भारत पर रूस से तेल और हथियारों की खरीद को लेकर आपत्ति जताई है।
भारत का कहना है कि यह सौदे आर्थिक स्थिरता और महंगाई नियंत्रण के लिए ज़रूरी थे और अंतरराष्ट्रीय नियमों के तहत किए गए हैं।
🤝 चालू वार्ताएं और आगे की दिशा
हालांकि विवाद गहराया है, अमेरिका ने यह माना है कि भारत के साथ व्यापार वार्ताएं अब भी जारी हैं।
अगस्त 2025 में अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल भारत दौरे पर आने की संभावना है और सितंबर-अक्टूबर तक किसी समझौते की उम्मीद जताई जा रही है।
🧭 निष्कर्ष: नाजुक संतुलन की आवश्यकता
भारत के सामने अब दोहरी चुनौती है — घरेलू हितों की रक्षा और राजनयिक संतुलन बनाए रखना।
सरकार को अपने निर्यातकों को सहयोग देने, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में भारत की स्थिति मजबूत करने और अमेरिका के साथ व्यापारिक वार्ता में रणनीतिक स्पष्टता के साथ आगे बढ़ने की आवश्यकता है।