लंदन में मोदी: भारत–ब्रिटेन के बीच ऐतिहासिक व्यापार समझौता, लेकिन विपक्ष ने उठाए सवाल

लंदन | 24 जुलाई 2025 — प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल लंदन पहुंचे हैं, जहां उन्होंने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर के साथ एक ऐतिहासिक फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) पर हस्ताक्षर किए। इसे भारत और ब्रिटेन के संबंधों में एक बड़ा मोड़ माना जा रहा है। मोदी ने इसे एक “ऐतिहासिक उपलब्धि” बताया, जो दोनों देशों के संबंधों को एक नई ऊंचाई देगा।

इस समझौते में क्या है खास?

यह व्यापार समझौता दोनों देशों के लिए फायदे का सौदा है:

  • टैरिफ में कटौती: भारत और ब्रिटेन के बीच 90% से अधिक वस्तुओं पर आयात शुल्क घटाया या पूरी तरह से समाप्त कर दिया गया है। ब्रिटेन से भारत आने वाले उत्पाद जैसे विस्की, कार, मशीनरी आदि पर टैक्स में छूट मिलेगी, वहीं भारत से कपड़े, जूते, कृषि उत्पाद अब यूके में बिना टैक्स के पहुंच सकेंगे।
  • आर्थिक लाभ: ब्रिटेन को इस समझौते से सालाना £4.8 बिलियन की आर्थिक बढ़त की उम्मीद है, जबकि भारत और ब्रिटेन के बीच $34 बिलियन का द्विपक्षीय व्यापार हर साल बढ़ने की संभावना है।
  • नए निवेश: समझौते के साथ-साथ दोनों देशों के बीच लगभग £6 बिलियन के नए निवेश और व्यापारिक सौदों पर भी सहमति बनी है।
  • सेवाएं और वीज़ा सुविधा: अब भारतीय पेशेवर — जैसे आईटी विशेषज्ञ, योग प्रशिक्षक, संगीतकार और शेफ — को ब्रिटेन में आने-जाने में ज्यादा आसानी होगी। अल्पकालिक कर्मचारियों को यूके में सामाजिक सुरक्षा कर नहीं देना होगा।

व्यापार से आगे की साझेदारी

इस FTA के साथ, मोदी और स्टारमर ने “इंडिया–यूके विजन 2035” भी लॉन्च किया है। इसमें रक्षा, शिक्षा, जलवायु, टेक्नोलॉजी और इनोवेशन जैसे क्षेत्रों में गहरा सहयोग शामिल है। यह दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने का संकेत है।

विपक्ष का सवाल: “दूसरा FTA” कहां है?

भारत में विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि जब भारत-यूके FTA हो सकता है, तो एक “फ्यूजिटिव ट्रांसफर एग्रीमेंट” (वांछित अपराधियों को भारत लाने का समझौता) क्यों नहीं हो सकता? कांग्रेस ने विजय माल्या, नीरव मोदी और ललित मोदी जैसे भगोड़ों का जिक्र करते हुए इसे “भारत की असली जरूरत” बताया।

भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने आश्वासन दिया कि इन मामलों पर बातचीत चल रही है और ब्रिटेन से प्रत्यर्पण की कोशिशें जारी हैं।

यह समझौता क्यों अहम है?

  • ब्रिटेन के लिए, यह ब्रेक्सिट के बाद किसी बड़े एशियाई देश के साथ पहला व्यापार समझौता है — जो उसकी नई वैश्विक भूमिका का प्रतीक है।
  • भारत के लिए, यह नए बाजार खोलता है, निवेश बढ़ाता है और मोदी की वैश्विक कूटनीति को और मजबूती देता है।
  • दोनों देशों के लिए, यह रिश्तों को सिर्फ इतिहास से जोड़ने के बजाय भविष्य की ओर ले जाने का संकेत है।

आगे क्या?

  • स्वीकृति प्रक्रिया: अब यह समझौता दोनों देशों की संसदों में पारित होना है। ब्रिटेन में लेबर पार्टी के पास बहुमत है और भारत की कैबिनेट पहले ही इसकी मंजूरी दे चुकी है, इसलिए इसकी पुष्टि में कोई बड़ी अड़चन नहीं दिख रही।
  • क्रियान्वयन: अगले 10 वर्षों में धीरे-धीरे टैरिफ हटाए जाएंगे। कुछ संवेदनशील क्षेत्रों जैसे ऑटोमोबाइल्स पर अभी भी कोटा प्रणाली लागू रहेगी।
  • अगला कदम – प्रत्यर्पण संधि?: अब यह देखा जाएगा कि क्या यह व्यापार समझौता भविष्य में एक अलग प्रत्यर्पण संधि (Extradition Treaty) का मार्ग प्रशस्त कर सकता है — कांग्रेस लगातार इस पर दबाव बना रही है।

भारत–ब्रिटेन व्यापार समझौता वास्तव में एक ऐतिहासिक कदम है — जो रोजगार, निवेश और रणनीतिक साझेदारी को नया आयाम देगा। लेकिन इसके साथ ही भारत में यह बहस भी तेज हो गई है कि आर्थिक भागीदारी के साथ-साथ न्याय और जवाबदेही भी उतनी ही जरूरी है। अब नजरें इस बात पर हैं कि यह समझौता जमीनी स्तर पर कितना असर डालता है।

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