नासा, एक्सिओम स्पेस और स्पेसएक्स ने आज, 25 जून को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए चौथे निजी अंतरिक्ष यात्री मिशन अक्सिओम मिशन-4 (Ax-4) का सफलतापूर्वक ऐलान किया। भारत के शुभांशु शुक्ला द्वारा पायलट किए जा रहे इस यान ने नासा के केनेडी स्पेस सेंटर, फ्लोरिडा के लॉन्च कॉम्प्लेक्स 39A से उड़ान भरी। स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट पर सवार होकर यह दल स्पेसएक्स के नए ड्रैगन अंतरिक्ष यान के जरिए कक्षा में स्थित अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की ओर रवाना हुआ। यह लॉन्च भारतीय समयानुसार दोपहर 12 बजे IST (2:31 AM EDT) निर्धारित था।
Ax-4 मिशन भारत, पोलैंड और हंगरी के लिए मानव अंतरिक्ष उड़ान में ‘वापसी’ का प्रतीक है, क्योंकि यह इन देशों की 40 वर्षों में पहली सरकारी प्रायोजित अंतरिक्ष यात्रा है। भले ही, यह इन देशों की दूसरी मानव अंतरिक्ष उड़ान है, लेकिन यह पहली बार है जब ये तीनों देश एकसाथ अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर साझा मिशन को अंजाम दे रहे हैं।
यह ऐतिहासिक मिशन यह भी दर्शाता है कि एक्सिओम स्पेस किस तरह निम्न-पृथ्वी कक्षा (Low-Earth Orbit) में अंतरिक्ष मिशनों के मार्ग को पुनर्परिभाषित कर रहा है और वैश्विक स्तर पर राष्ट्रीय अंतरिक्ष कार्यक्रमों को सशक्त बना रहा है।
Axiom-4 मिशन भारत, हंगरी और पोलैंड के लिए अंतरिक्ष विकास में एक मील फ़लक है। इस मिशन की कमान पूर्व NASA अंतरिक्ष यात्री पेगी व्हिटसन संभाल रही हैं।
भारत से ISRO के प्रतिनिधि शुभांशु शुक्ला पायलट की भूमिका में हैं। वहीं, उनके साथ पोलैंड से Sławosz Uznański-Wiśniewski और हंगरी से Tibor Kapu, दोनों यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) का प्रतिनिधित्व करते हुए मिशन स्पेशलिस्ट के रूप में भी शामिल हैं।
इससे पहले यह मिशन तकनीकी समस्याओं, प्रतिकूल मौसम और सुरक्षा कारणों के चलते कई बार विलंब हो चुका था। इसका लॉन्च मूल रूप से 29 मई को होना तय हुआ था, लेकिन SpaceX और ISRO द्वारा पहचानी गई तकनीकी खामियों के कारण इसे स्थगित करना पड़ा।
Axiom-4 एक वाणिज्यिक मिशन है, जिसमें भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ISRO ने ₹550 करोड़ में अपनी सीट सुनिश्चित की। इस मिशन को “मिशन आकाश गंगा” भी कहा जाता है। स्पेसएक्स ड्रैगन अंतरिक्ष यान चार अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष यात्रियों को 14 दिन के मिशन पर ले जाएगा। Falcon 9 रॉकेट के ज़रिए इसका डॉकिंग 26 जून को शाम 4:30 बजे IST पर निर्धारित है।
लखनऊ से भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला राकेश शर्मा (1984) के बाद अंतरिक्ष जाने वाले दूसरे भारतीय बनने जा रहे हैं।
शुभांशु शुक्ला Axiom-4 मिशन लाइव: अंतरिक्ष में क्या करेंगे शुक्ला?
शुक्ला का मिशन केवल प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि वैज्ञानिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है। अपने 14 दिन के सफ़र के दौरान वह निम्नलिखित सहयोगों के तहत अंतरिक्ष पोषण, खाद्य स्थिरता और बीज पुनरुत्पादन से जुड़े अत्याधुनिक प्रयोग करेंगे:
- ISRO–DBT स्पेस न्यूट्रिशन प्रोग्राम
भारत-विशिष्ट खाद्य पदार्थों जैसे मेथी और मूंग पर प्रयोग।
इन बीजों के सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में अंकुरण की प्रक्रिया का अध्ययन।
बीजों को धरती पर लौटाकर कई पीढ़ियों तक उगाया जाएगा, ताकि उनकी दीर्घकालिक उपज क्षमता का आकलन हो सके।
- स्व-निर्भर जीवन समर्थन प्रणाली (Self-Sustaining Life Support)
दीर्घकालिक अंतरिक्ष यात्रा और भविष्य की अंतरिक्ष कृषि पर केंद्रित परियोजनाएं।
जैव-पुनर्योजी प्रणाली (Bio-regenerative systems) पर अनुसंधान, जो अंतरिक्ष यात्रियों के पोषण को सुनिश्चित कर सके।
- NASA मानव अनुसंधान कार्यक्रम
सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में अंतरिक्ष यात्रियों के स्वास्थ्य, अनुकूलन और व्यवहार से जुड़ी पाँच संयुक्त वैज्ञानिक परियोजनाओं में भागीदारी।