चोलों की लोकतांत्रिक परंपरा पर मोदी का जोर: “मैग्ना कार्टा से भी पहले भारत में थी मतदान प्रणाली”

चेन्नई, 26 जुलाई 2025 | संवाददाता विशेष
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तमिलनाडु के प्रसिद्ध चोल शासक राजेंद्र चोल की शासन प्रणाली का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत में लोकतंत्र की जड़ें पश्चिमी अवधारणाओं से कहीं पुरानी हैं। उन्होंने बताया कि चोल साम्राज्य में ‘कुदावोली’ नामक एक उन्नत और पारदर्शी मतदान प्रणाली अस्तित्व में थी, जो 1215 ई. की मैग्ना कार्टा से भी पहले स्थापित हो चुकी थी।

प्रधानमंत्री ने यह बात तमिलनाडु के गंगईकोंडा चोलपुरम में आयोजित एक कार्यक्रम में कही, जहां उन्होंने राजेंद्र चोल की प्रतिमा और सिक्कों का अनावरण किया।

क्या थी ‘कुदावोली’ प्रणाली?

‘कुदावोली’ प्रणाली चोल साम्राज्य के गांवों में स्थानीय निकायों के चुनाव की एक पारदर्शी प्रक्रिया थी। इसमें पात्र उम्मीदवारों के नाम ताड़पत्रों पर लिखकर एक पात्र (मटका) में डाले जाते थे और एक युवा निष्पक्ष व्यक्ति द्वारा सार्वजनिक रूप से लॉटरी के माध्यम से चयन किया जाता था।

चुनाव प्रक्रिया में भाग लेने वाले उम्मीदवारों के लिए आयु, संपत्ति, शिक्षण योग्यता और नैतिक आचरण जैसे सख्त मानदंड तय किए गए थे। किसी भी प्रकार के आर्थिक या आपराधिक दोष के पाए जाने पर उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया जाता था।

शिलालेखों में दर्ज हैं प्रमाण

तमिलनाडु के उत्तिरमेहरूर (Uthiramerur) गाँव के मंदिरों की दीवारों पर मिले शिलालेखों में इस प्रणाली का विस्तृत वर्णन मिलता है। इन शिलालेखों के अनुसार गांव को 30 वार्डों में बांटा गया था, प्रत्येक वार्ड से एक सदस्य चुना जाता था। इन सदस्यों के कार्यों की सालाना समीक्षा (ऑडिट) होती थी, और यदि कोई भ्रष्टाचार में लिप्त पाया जाता था, तो उसे तुरंत पदच्युत किया जाता था।

पीएम मोदी ने क्या कहा?

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा,

“हमारे देश में हज़ारों वर्ष पहले ही लोकतांत्रिक प्रणाली का सुदृढ़ आधार रखा गया था। चोलों की कुदावोली प्रणाली, जनता की भागीदारी और पारदर्शिता की अद्भुत मिसाल है।”

उन्होंने इसे ‘भारत की लोकतांत्रिक परंपरा की सजीव मिसाल’ बताते हुए युवाओं से भारतीय इतिहास को पढ़ने और समझने की अपील की।

📜 क्या है मैग्ना कार्टा?

मैग्ना कार्टा, जिसे 1215 ई. में इंग्लैंड के राजा जॉन से अंगरेज़ रईसों ने मनवाया था, को आधुनिक लोकतंत्र की नींव माना जाता है। परंतु चोलों की कुदावोली प्रणाली इससे सैकड़ों वर्ष पूर्व से कार्यान्वित थी, जो यह सिद्ध करती है कि भारत में लोकतांत्रिक अवधारणाएं पाश्चात्य देशों से पहले मौजूद थीं।

📌 निष्कर्ष

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चोल शासन के मतदान तंत्र का हवाला देना सिर्फ इतिहास की बात नहीं, बल्कि वर्तमान लोकतंत्र को उसकी जड़ों से जोड़ने का प्रयास है। यह संदेश देता है कि भारत केवल विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र नहीं, बल्कि शायद सबसे प्राचीन लोकतंत्र भी है।

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