पटना | 1 अगस्त 2025:
बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले राज्य की राजनीति में बड़ा भूचाल आ गया है। चुनाव आयोग ने विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) के तहत संशोधित मतदाता सूची का ड्राफ्ट जारी किया है, जिसमें करीब 65 लाख मतदाताओं के नाम हटा दिए गए हैं। इस कार्रवाई को लेकर विपक्ष ने तीखा विरोध जताया है और इसे “लोकतंत्र पर हमला” करार दिया है।
ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में बड़ा बदलाव
चुनाव आयोग के अनुसार, बिहार के कुल 7.89 करोड़ पंजीकृत मतदाताओं में से केवल 7.24 करोड़ मतदाताओं ने ही अपना सत्यापन कराया है। आयोग ने जिन 65 लाख नामों को सूची से हटाया है, उनके पीछे तीन मुख्य कारण बताए हैं:
- संबंधित व्यक्ति की मृत्यु
- स्थायी स्थानांतरण
- एक व्यक्ति का एक से अधिक स्थानों पर दर्ज नाम
आयोग का कहना है कि यह प्रक्रिया मतदाता सूची को सटीक और पारदर्शी बनाने के लिए अपनाई गई है।
1 अगस्त से दावे और आपत्तियां शुरू
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने जानकारी दी कि 1 अगस्त से 1 सितंबर 2025 तक सभी मतदाता ड्राफ्ट वोटर लिस्ट पर दावा और आपत्ति दर्ज कर सकते हैं।
- फॉर्म 6: नाम जुड़वाने के लिए
- फॉर्म 7: गलत नाम हटवाने के लिए
- फॉर्म 8: विवरण सुधारने के लिए
सभी 243 विधानसभा क्षेत्रों में निर्वाचक निबंधन अधिकारी (ERO) और बूथ लेवल अधिकारी (BLO) तैनात किए गए हैं।
युवा मतदाताओं को जोड़ने पर जोर
आयोग विशेष रूप से 1 जुलाई या 1 अक्टूबर 2025 तक 18 वर्ष की आयु पूर्ण करने वाले युवाओं को मतदाता सूची में जोड़ने के लिए अभियान चला रहा है। फॉर्म 6 भरकर दस्तावेज जमा करने वालों को वोटर लिस्ट में शामिल किया जाएगा।
राजनीतिक तूफान: विपक्ष ने उठाए सवाल
SIR प्रक्रिया पर INDIA गठबंधन समेत कई विपक्षी दलों ने गंभीर आपत्ति जताई है। कांग्रेस की प्रियंका गांधी, राजद की मीसा भारती और डीएमके के ए. राजा ने संसद परिसर में प्रदर्शन किया और इसे “छुपा हुआ NRC” बताया।
विपक्ष का आरोप है कि यह प्रक्रिया संविधान विरोधी है और गरीब, दलित व अल्पसंख्यक समुदायों को मतदाता सूची से बाहर करने का एक सुनियोजित प्रयास है।
नारे लगे:
“SIR लोकतंत्र पर वार है”
“वोटर लिस्ट से नाम हटाना संविधान विरोधी है”
संसद में हंगामा, कार्यवाही स्थगित
इस मुद्दे पर संसद में जबरदस्त हंगामा हुआ। विपक्षी सांसदों के विरोध के चलते लोकसभा की कार्यवाही दोपहर 2 बजे तक स्थगित करनी पड़ी।
सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती
SIR की वैधता को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ता ने इस प्रक्रिया को एकतरफा और नागरिक अधिकारों के उल्लंघन के रूप में प्रस्तुत करते हुए इसे रोकने की मांग की है।
क्या है SIR प्रक्रिया?
SIR यानी Special Intensive Revision, चुनाव आयोग की एक विशेष प्रक्रिया है, जिसके तहत मतदाता सूची की गहन समीक्षा और शुद्धिकरण किया जाता है। इसमें सभी मतदाताओं से फॉर्म भरवाकर विवरण की पुष्टि कराई जाती है। बिहार से शुरू हुई यह प्रक्रिया अब देशव्यापी स्तर पर लागू की जा सकती है।
अब मतदाता क्या करें?
- https://voters.eci.gov.in पर जाकर अपना नाम चेक करें।
- नाम नहीं है तो फॉर्म 6, 7 या 8 के माध्यम से दावा/आपत्ति दर्ज करें।
- अपने BLO या ERO से संपर्क करें या Voter Helpline ऐप का उपयोग करें।
- अंतिम मतदाता सूची 30 सितंबर 2025 को प्रकाशित की जाएगी।