नई दिल्ली, 29 जुलाई — सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बिहार में चल रही स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया है, लेकिन निर्वाचन आयोग (ECI) को कई महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर देने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए मंगलवार सुबह 10:30 बजे का समय तय किया है।
न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति जॉयमाला बागची की पीठ ने सुनवाई के दौरान निर्वाचन आयोग से कड़े शब्दों में सवाल किया कि जब आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र (EPIC) और राशन कार्ड जैसे दस्तावेज़ सामान्य पहचान के लिए मान्य हैं, तो उन्हें मतदाता सूची पुनरीक्षण में स्वीकार क्यों नहीं किया जा रहा।
“अगर फर्जीवाड़ा है, तो कोई भी दस्तावेज़ सुरक्षित नहीं” — सुप्रीम कोर्ट
पीठ ने तल्ख लहजे में कहा, “यदि आप यह कह रहे हैं कि दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा संभव है, तो इस धरती पर कोई भी दस्तावेज पूरी तरह सुरक्षित नहीं है। फिर आपके द्वारा सूचीबद्ध 11 दस्तावेजों को ही मान्यता देने का आधार क्या है?”
कोर्ट ने पूछा कि क्या दस्तावेजों की मौजूदा सूची की पुनर्समीक्षा संभव है और क्या आधार, EPIC व राशन कार्ड को भी वैध दस्तावेजों की सूची में शामिल किया जा सकता है।
ECI की सफाई: आधार पहचान का प्रमाण, नागरिकता का नहीं
निर्वाचन आयोग की ओर से पेश वकील ने बताया कि आयोग आधार को पहचान प्रमाण के रूप में तो मानता है, लेकिन नागरिकता का प्रमाण नहीं मानता। उन्होंने कहा कि राशन कार्ड को लेकर फर्जीवाड़े की शिकायतें मिली हैं, जिससे उसे मान्य करना मुश्किल हो रहा है।
आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी व्यक्ति का नाम मतदाता सूची से हटाने से पहले गणना फॉर्म भरना अनिवार्य है। अपने हलफनामे में आयोग ने कहा कि जनवरी 2025 की मतदाता सूची में शामिल सभी पात्र लोग, यदि गणना फॉर्म भरते हैं, तो ड्राफ्ट सूची में शामिल रहेंगे।
कोर्ट की चिंता: आपत्ति और सुनवाई की प्रक्रिया क्या है?
कोर्ट ने यह भी जानना चाहा कि यदि किसी व्यक्ति का नाम ड्राफ्ट सूची से हटाया जाता है, तो वह किस प्रक्रिया के तहत आपत्ति दर्ज कर सकता है और उसकी सुनवाई कैसे होगी। साथ ही कोर्ट ने पूछा, “क्या सामूहिक बहिष्करण के बजाय सामूहिक समावेशन की नीति अपनाई जा सकती है?”
याचिकाकर्ता की मांग खारिज, पर कोर्ट ने दी चेतावनी
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकर नारायणन ने अपील की कि ड्राफ्ट मतदाता सूची को अंतिम रूप देने पर रोक लगाई जाए, लेकिन कोर्ट ने कहा कि यह सूची अभी किसी के अधिकारों को प्रभावित नहीं करती। हालांकि, पीठ ने चेतावनी दी कि यदि आवश्यक हुआ तो पूरी प्रक्रिया को रद्द भी किया जा सकता है।
मंगलवार को अगली सुनवाई, विस्तृत बहस की संभावना
कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए मंगलवार सुबह 10:30 बजे का समय तय किया है और निर्वाचन आयोग से कहा है कि तब तक वह विवादित दस्तावेजों पर अपना रुख स्पष्ट करे। उसी दिन मामले पर विस्तृत बहस की जाएगी।